Chakarnagar News चकरनगर के 41ग्राम प्रधानों में सिर्फ 7 को ही शपथ ग्रहण में किया गया शामिल

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चकरनगर के 41ग्राम प्रधानों में सिर्फ 7 को ही शपथ ग्रहण में किया गया शामिल
-34 नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को शपथ ग्रहण में शामिल न किए जाने से चेहरों पर छाई मायूसी *"न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम"* -7 ग्राम पंचायतों के प्रधानों को शपथ का कार्यक्रम ऑनलाइन पूरा किया गया बाकी 34 की कार्यवाही अगले शासनादेशों के बाद ही तय की जाएगी - बी ,डी ओ ,दीनदयाल -शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कोविड-19 गाइडलाइंस का पूर्णतया: पालन करते हुए कराया गया -34 विजयी ग्राम प्रधान पद उम्मीदवारों की शपथ ग्रहण अधर में लटक जाने से हारे हुए कुछ ग्राम पंचायतों के प्रधान करीबी विरोधियों को हार का गम शमन होकर खुशी का जश्न दिलों में -शपथ अधिकारी ने शपथियों को कुर्सी पर आसीन होकर दिलाई शपथ (सनशाइन समय के लिए डॉ एस बी एस चौहान के साथ अरविंद सिंह राजावत) चकरनगर/इटावा,26 मई। शासनादेश के तहत विकासखंड चकरनगर की 41 ग्राम पंचायतों में हुए चुनावों में से मात्र 7 ग्राम पंचायतों के नवनिर्वाचित प्रधानों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम कोविड-19 की गाइडलाइंस का पालन करते हुए शपथाधिकारी बी डी ओ दीनदयाल ने विकासखंड मुख्यालय से ऑनलाइन कंप्यूटर के माध्यम से पूरा किया। आपको बता दें कि विकासखंड चकरनगर के अंतर्गत 41 ग्राम पंचायतें हैं जिनमें सभी ग्राम पंचायतों के नवनिर्वाचित प्रधान शपथ ग्रहण करने की उत्सुकता लिए बैठे थे जिसमें आज मात्र 7 ग्राम प्रधानों को उनके बहुमत के साथ शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कंप्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन बी डी ओ दीनदयाल ने पूरा किया। यहां पर यह भी चर्चा करना अनिवार्य है कि ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक और कोर्ट कचहरियों में भी जब शपथ ली और दी जाती है तो उस समय दिलाने वाला और शपथ को ग्रहण करने वाला विधि अनुकूल अपने को विधि विधान के तहत समर्पित करता हुआ खड़े होकर शपथ ग्रहण करता है, लेकिन यहां पर तरीका कुछ नया ही दिखाई दिया की शपथ अधिकारी ने अपनी कुर्सी पर आसीन होकर शपथ ग्रहण कार्यक्रम की औपचारिकता पूर्ण की। शपथ अधिकारी दीनदयाल ने बताया कि शपथ ग्रहण के साथ नवनिर्वाचित प्रधानों को छ समितियां गठित करने के निर्देश दिए गए हैं जिसमें १-प्रशासनिक कार्य योजना समिति, २-निगरानी समिति,३- जल प्रबंधन समिति,४- शिक्षा समिति आदि प्रमुख हैं। नव गठित समितियों में सड़क,सफाई, सैनिटाइजर,और जल प्रबंधन जैसे कार्यों को प्राथमिकता के साथ 27 तारीख की होने वाली बैठक में सम्मिलित करने के निर्देश दिए गए हैं। डीपीआरओ ने हमारे संवाददाता को बताया कि बाकी बची 34 ग्राम पंचायतों के प्रधानी के बस्ता मिलने का इंतजार कर रहे जीते प्रत्याशियों का प्रधान पद शपथ ग्रहण कार्यक्रम अगले शासनादेश के बाद ही तय किया जाएगा। अब यहां पर यह भी एक अहम समस्या बन गई कि पुरजोर धनवल, जनवल आदि सभी हथकंडों का इस्तेमाल कर प्रधानी का चुनाव जीते और आज जब शपथ ग्रहण की तारीख शासन के द्वारा निर्धारित हुई तो उस कार्यक्रम में वित्तीय अधिकार भी प्राप्त हो नहीं कर सके। इससे जहां एक तरफ नवनिर्वाचित प्रधानों में मायूसी छा गई वहीं दूसरी तरफ उनके समर्थकों में लोगों के द्वारा की गई पिछली भूल का पश्चाताप करना पड़ा। यदि यहां पर यह कह दिया जाए कि "ना खुदा ही मिला ना विसाल-ए-सनम"तो कोई शायद अति शयोक्ति पूर्ण ना होगा। सूत्रों की माने तो कई जीते हुए वह प्रत्याशी कि जिन्होंने लाखों के बारे के न्यारे कर प्रधानी पद जीत कर प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिया लेकिन वित्तीय अधिकार न मिलने से वह जीते हुए प्रत्याशी मायूस दिखाई दे रहे हैं।लोगों का मानना है खासकर वह विपक्षी जो प्रत्याशी से संबंधित हैं बेहद खुशी का जश्न दिलों में मनाते हुए कि चलो जो हुआ ठीक हुआ बस्ता भी नहीं मिलेगा तो कमाई करने का भी जरिया पिछड़ ही जाएगा क्योंकि अभी यदि शासन ने चुनाव ना कराए तो ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित प्रधानों को यूंही चप्पलें घिसते ही नजर आएंगे। कोविड-19 और उससे संबंधित तमाम संचारी रोगों से बचाव रखने के मकसद से विकास खंड कार्यालय पर शपथ ग्रहण समारोह का कार्यक्रम नहीं कराया गया और यह कार्यक्रम अधिकारियों और प्रतिनिधियों की सुविधा के अनुसार कोविड-19 गाइडलाइंस का पालन करते हुए किया गया। वह ग्राम पंचायतें जिनके पास दो तिहाई और उससे अधिक सदस्यों का बहुमत था जहां पर 7 समितियों का तत्काल गठन किया जा सकता है उन्हीं पंचायतों को शपथ ग्रहण में शामिल किया गया जो इस प्रकार से हैं- हनुमंतपुरा,बछेडी,बरेछा, बिहार, कुंवरपुर कुर्छा, कचहरी और बंसरी शामिल है। अब बाकी के 34 वह विजई प्रत्याशी कि जिनके पास दो तिहाई बहुमत पूरा नहीं हो सका तो वह प्रधानी पद की ताक लगाए उम्मीदवारों क्या होगा? क्योंकि वित्तीय अधिकार न मिलने के कारण विकास कार्य अवरोधित होंगे। पंडित उमेश मिश्रा बताते हैं कि अब यह चुनाव की तिथि अभी तय नहीं है बीच के समय में यदि जनता को प्रधान की मोहर की आवश्यकता पड़ेगी तो नया प्रधान लगाएगा या पुराना प्रधान लगाएगा या कि प्रशासक? अब इस पशोपेश में ग्रामीण फंसे हुए हैं कि आखिर इसका कोई समाधान जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी इटावा को निकालना चाहिए और यदि प्रशासक ही मुहर लगाएगा तो प्रशासक को संबंधित गांव में एक निर्धारित समय के लिए पंचायत घर पर बैठना सुनिश्चित किया जाए ताकि ग्रामीणों के प्रधान द्वारा प्रमाणित होने वाले कार्य न रुकें!

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